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परोपकार एवं जरूरतमंदों की सेवा ही मानव धर्म - विद्यार्थी

 

स्वतंत्रविचार 24 (रिपोर्ट :-- संदीप कुमार गुप्ता)

परोपकार एवं जरूरतमंदों की सेवा ही मानव धर्म  - विद्यार्थी

दुबहर, बलिया (स्वतंत्रविचार 24) - परोपकार व मदद की भावना ही वास्तव में मनुष्य की धरती पर जिंदगी का सबसे पुनीत कार्य होता है। परोपकर से बढ़कर कोई उत्तम कर्म नहीं हो सकता।

 इसी को आधार मानकर नगवा निवासी सामाजिक चिंतक बब्बन विद्यार्थी ने पूर्व मंत्री स्वर्गीय विक्रमादित्य पांडेय की स्मृति में प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी रविवार को अखार ढाला पर आयोजित कार्यक्रम में कड़ाके की ठंड में निराश्रित एवं गरीब महिलाओं को गर्म वूलेन शाल ओढ़ाया। विद्यार्थी ने कहा कि परोपकार एवं जरूरतमंदों की सेवा करना मानव जीवन का सबसे बड़ा धर्म है। 

आम लोगों को भी सामाजिक दायित्वों के प्रति जागरूक होना चाहिए,परोपकार ही सच्ची मानवता है। किसी की सेवा और मदद करने में अलौकिक आनंद की प्राप्ति होती है और यही अलौकिक आनंद ही जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।कहा कि प्रत्येक समर्थवान व्यक्ति को गरीब,जरूरतमंदों का मदद करना चाहिए। इस मौके पर विश्वनाथ पांडेय, केके पाठक, डॉ सुरेश चंद्र प्रसाद, राकेश यादव, पन्नालाल गुप्ता, धीरज यादव, नितेश पाठक, अश्विनी ठाकुर विजय प्रकाश गुप्ता, जय गुप्ता आदि मौजूद रहे।