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संसार का चिंतन छोड़ कर, ईश्वर का चिंतन करना चाहिए - विद्या भास्कर स्वामी

 

स्वतंत्रविचार 24 (रिपोर्ट :-- संदीप कुमार गुप्ता)

संसार का चिंतन छोड़ कर, ईश्वर का चिंतन करना चाहिए - विद्या भास्कर स्वामी 

दुबहर (बलिया)- भारत के महान मनीषी संत त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के कृपा पात्र कौशलेश सदन पीठाधीश्वर श्रीमद जगद्गुरु वासुदेवाचार्य विद्या भास्कर स्वामी जी महाराज ने नगवा में हो रहे श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन प्रवचन करते हुए कहा कि श्री तत्व ,प्राकृतिक तत्व, माया तत्व , सृष्टि तत्व  इन सब के मूल में भगवान की आदिशक्ति है। अपने आदि शक्ति के बल पर ही भगवान शक्तिमान है ऐश्वर्य मान है।  परम ब्रह्म परमात्मा के परा शक्ति के विविध स्वरूप हैं, जिनमें आदि शक्ति का स्वरुप प्रमुख है।
उन्होंने कहा कि सनत कुमार संघीता में हम सब को यह उपदेश प्राप्त होता है कि जो पुरुष दिख रहे हैं उन्हें भगवान स्वरूप समझकर प्रणाम करना चाहिए तथा जो नारी का रूप है उन्हें लक्ष्मी समान समझना चाहिए। नर - नारी में भगवान है। उन्होंने बताया कि जो विश्व है वही विष्णु है।
उन्होंने बतलाया की संसार के चिंतन को छोड़ कर ईश्वर का चिंतन करना चाहिए।  तब जाकर मनुष्य को ईश्वर की प्राप्ति होती हैं।  जब तक व्यक्ति के अंदर अभिमान रहेगा तब तक मन ईश्वर की भक्ति में नहीं लगता है।  
भगवान का भक्त असमान्य होता है।
इस मौके पर प्रमुख रूप से पंडित शिवजी पाठक, डॉक्टर जय गणेश चौबे, अश्वनी कुमार उपाध्याय , जवाहर लाल पाठक,भगवती शरण पाठक, धीरन पाठक, राधा कृष्ण पाठक, विद्यासागर दुबे, अवध किशोर पाठक, राकेश पाठक ,भुवर पाठक ,राम नारायण यादव, यज्ञ किशोर पाठक, बृजकिशोर पाठक, चंद्रशेखर यादव आदि लोग मौजूद रहे।