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रघुवंशी युद्ध में काल से नहीं, बल्कि ब्राह्मण के कोप से डरते हैं - श्री रामचन्द्र

स्वतंत्रविचार 24 (रिपोर्ट :-- संदीप कुमार गुप्ता)

रघुवंशी युद्ध में काल से नहीं, बल्कि ब्राह्मण के कोप से डरते हैं - श्री रामचन्द्र 

दुबहर, बलिया (स्वतंत्रविचार 24) - स्थानीय क्षेत्र के नगवा गांव में आदर्श रामलीला कमेटी के मंच पर शनिवार की रात धनुष यज्ञ और परशुराम-लक्ष्मण संवाद का मंचन किया गया। 

सीता के स्वयंवर में राजा जनक की प्रतिज्ञा पर कई देशों के राजा शिव धनुष को उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाने पहुंचे, लेकिन कोई धनुष को हिला भी नहीं पाया।

 रावण के पहुंचते ही आकाशवाणी हुई,हे लंकेश तुम्हारे कुंभिनिसी कन्या का दानव अपहरण कर लिया है। यह सुन रावण वहां से चला गया। राजा जनक बोले मैं जान गया की वीरों से धरती खाली है। जनक की निराशा देख विश्वामित्र के इशारे पर राम ने धनुष को एक झटके में उठाया और प्रत्यंचा चढ़ाने लगे। इसी बीच धनुष टूट गया। इसके बाद माता जानकी श्रीराम को जयमाला पहना देती हैं। धनुष टूटने की आवाज सुनकर परशुराम पहुंचे। उनके और लक्ष्मण के बीच गरमा-गरमी हुई। इस दौरान राम ने कहा रघुवंशी युद्ध में काल से भी नहीं डरते। हम केवल ब्राह्मण कोप से डरते हैं। इस मर्म भरी बात पर परशुराम अपनी धनुष राम को देते हुए चले जाते हैं। लीला में परशुराम की भूमिका में जवाहरलाल पाठक के अभिनय को लोगों ने खूब सराहा।

 इस मौके पर पूर्व प्रधान प्रतिनिधि विमल पाठक, अरुणेश पाठक, राधाकृष्ण पाठक, गोविंद पाठक, बब्बन विद्यार्थी, रमन पाठक, विजय पांडेय, सोनू बाबा, ब्रजेश पाठक, जागेश्वर मितवा, विश्राम तिवारी, वीरेंद्र नाथ चौबे, सुनील पाठक, शशि भूषण पांडेय आदि मौजूद रहे।