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भगवान स्वयं अपने भक्तों की तपस्या, अराधना, व्रत को खण्डित होने से बचाते हैं। विद्या भास्कर महाराज

 

स्वतंत्रविचार 24 (रिपोर्ट :-- संदीप कुमार गुप्ता)

भगवान स्वयं अपने भक्तों की तपस्या, अराधना, व्रत को खण्डित होने से बचाते हैं। विद्या भास्कर महाराज 

दुबहर, बलिया। मनुष्य को अपने अच्छे बुरे कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है। अगर आपने किसी को ठगा है तो आपको भी कोई अवश्य ही ठगेगा। ईश्वर को भी धरती पर अवतार लेने के बाद अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है। उक्त बातें नगवा में हो रहे श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के पांचवे दिन प्रवचन करते हुए महान मनीषी संत त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के कृपा पात्र वासुदेवाचार्य "विद्या भास्कर" स्वामी जी ने कही।
 उन्होंने कहा कि कर्म ही पूजा, गुरु व भगवान है। जो भक्त नियमित रूप से भगवान की आराधना व्रत करता है, भगवान स्वयं अपने भक्तों की तपस्या,आराधना व्रत की रक्षा करते हैं उसे खंडित नहीं होने देते। कहा कि भागवत कथा में श्री कृष्ण भगवान की बाल लीला, माखन चोरी, गोपियों संग लीला, गोवर्धन पर्वत धारण करना, इंद्र का मान मर्दन, कालिया मर्दन आज की कथा को विस्तार पूर्वक सुनाया। श्री कृष्ण के बाल लीला को सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर होकर झूम उठे।
 इस मौके पर यजमान पंडित शिवजी पाठक, इंजीनियर भगवती शरण पाठक, इंदु पाठक, जवाहरलाल पाठक, राकेश पाठक, डॉ बृकेश कुमार पाठक, विमल पाठक, अखिलानंद तिवारी, जितेंद्र उपाध्याय, बब्बन विद्यार्थी, राधाकृष्ण पाठक, सलभ उपाध्याय, अभिषेक राय, विद्यासागर दुबे, ओंमकार सिंह, रविंद्र मोहन, हरिशंकर पाठक, अनिल पाठक, नरेंद्र पांडे,डॉक्टर संजीव पाठक , डॉ ० अमित पाठक ओमप्रकाश पाठक आदि मौजूद रहे।