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मोमिन के जिन्दगी का हर दिन रमजान जैसा होना चाहिए -- मौलाना नईम ज़फ़र

 

स्वतंत्रविचार 24 (रिपोर्ट :-- हाजी वकील अहमद अंसारी)

मोमिन के जिन्दगी का हर दिन रमजान जैसा होना चाहिए -- मौलाना नईम ज़फ़र

रसड़ा ( बलिया ) स्थानीय कस्बा निवासी युवा मोलवी हज़रत मौलाना नईम ज़फर साहब ने अपने खेताब में कहा कि अल्लाह रब्बूल इज्जत ने हमें रमजान जैसे बा बरकत महीने से नवाजा था, जो अब धीरे धीरे हमको विदा कह रहा है इस मुबारक महीने से हमें ये पैगाम मिलता है कि जिस तरह हम रोजे के दरमियान खाने पीने के साथ साथ अपने हाथ और जुबान को भी हर गलत कामों से रोके रखते हैं और अपने आप को ज्यादा से ज्यादा इबादत में मशगूल रखते हैं इसी तरह बाकी महीनों में भी हमें अपना मामूल बनाना चाहिए,और रमजान की तरह अपने आप को इबादत में मशगूल रख कर हर बुराई से रोकना चाहिए, और इस मुबारक महीने के खत्म होने पर हम मुसलमानों पर, जो साहब-ए-निसाब हैं,उन पर सदका- ए-फितर भी वाजिब है जिसका ईद-उल-फितर की नमाज़ से पहले पहले अदा करना जरूरी है, ये सदका ए फितर एक तो फुकरा और मसाकीन की मदद के लिए होता है ताकि उनकी भी ईद खुशी के साथ गुजरे और दूसरी वजह ये की इस महीने में हमसे जो कोताहियां हुई हों और रोज़े में जो कमियां रह गयी हो उसकी भरपाई के लिए ये सदका ए फितर होता है। हमें अल्लाह रब्बूल इज्ज़त से कसरत से दुआ-ए- मगफिरत के साथ ही यह भी दुआ करनी चाहिए कि अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त इस रमजानुल मुबारक के महीने को हमारी जिन्दगीयों को बदलने वाला और नेक अमल करने वाला बना दे ।