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आर्थिक उन्नयन का स्तम्भ स्थापित कर रही है फूलों की खेती।

 


स्वतंत्रविचार 24 (रिपोर्ट :-- हाजी वकील अहमद अंसारी)

 आर्थिक उन्नयन का स्तम्भ स्थापित कर रही है फूलों की खेती।

कामसीपुर गांव के किसान गेंदे के फूल की खेती कर लिख रहे नई इबारत।

रसड़ा(बलिया)।छोटी काशी के नाम से विख्यात रसड़ा क्षेत्र जहां पर्यटन की दिशा में तमाम मठ मन्दिर व दर्शनीय स्थल के लिए जाना जाता है वहीं इस क्षेत्र में फूल की खेती करने वाले किसान भी रसड़ा को अलग पहचान दिलाने का प्रयास कर रहे हैं। क्षेत्र के कामसीपुर गांव में गेंदा की फूलों की खेती करने वाले किसान रसड़ा क्षेत्र को जहां फूल की सुगंधित खुशबू से सराबोर कर रहे हैं वहीं आर्थिक उन्नयन के क्षेत्र में एक नई इबारत लिखने का काम कर रहे हैं। इसके लिये इस गांव के लगभग दो दर्जन किसान दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। ऐसे कृषकों का मानना है कि यदि सावधानी व परिश्रम के साथ फूल की खेती की जाए तो वह अनाज तेलहन, सब्जी,गन्ना की खेती से अधिक लाभकारी सिद्ध होगी।  रसड़ा ब्लाक क्षेत्र के कामसीपुर गांव में दो दर्जन से अधिक कृषकों ने यह सिद्ध भी कर दिया है कि कुछ वर्षों से गेंदा के फूल की खेती ने उनके जीवन में समृद्धि का नया आयाम खड़ा किया है। इन दिनों यह खेती पूरे सबाब पर है। जबभी कोई इस गांव की सिवान से होकर गुजरता है गेंदे के फूलों की खुशबू से उसका दिल बाग-बाग हो जाता है। फूल की खेती करने वाले कृषक विजयशंकर माली की मानें तो वर्ष में दो बार यहां गेंदा सहित अन्य फूलों की खेती होती है और यदि प्राकृति अनुकूल रहे तो निश्चित तौर पर यह खेती आर्थिक उन्नति का सफल साधन बनती है।  उन्होंने बताया कि यहां से गेंदा का माला व फूल रसड़ा सहित बलिया, गाजीपुर, मऊ व वाराणसी तक भेजा जाता है। कृषक विजयशंकर का कहना है कि यदि सरकारी तौर पर फूलों की खेती को प्रोत्साहित किया जाता है तो किसानों के लिए यह खेती वरदान से कम नहीं साबित होगी।