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हिंदी भाषा शिष्टाचार एवं संस्कृत की जननी है। - बबन विद्यार्थी

 

स्वतंत्रविचार 24 (रिपोर्ट :-  संदीप कुमार गुप्ता)

हिंदी भाषा शिष्टाचार एवं संस्कृत की जननी है। - बबन विद्यार्थी

दुबहर (बलिया) - हमारे देश भारत में अलग-अलग राज्यों में विभिन्न भाषाएं बोली जाती हैं, किंतु हिंदी भाषा संपूर्ण राष्ट्र को एक सूत्र में बांधती है। हिंदी वसुधैव- कुटुंबकम की भावना जागृत करते हुए विश्वबंधुत्व को बढ़ावा देती है। हिंदी में आवश्यकता अनुसार देशी- विदेशी भाषाओं के शब्दों को सरलता से आत्मसात् करने की शक्ति है और देशवासियों में भावात्मक एकता स्थापित करने की पूर्ण क्षमता है। शिष्टाचार एवं संस्कृति की जननी ही नहीं बल्कि हिंदी हिंदुस्तान की पहचान है। हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार को युक्त बातें सामाजिक चिंतक एवं गीतकार बब्बन विद्यार्थी ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान व्यक्त किया। 
उन्होंने कहा कि आज भले ही हिंदी बोलने वालों की संख्या अपने देश एवं विदेशों में बढ़ रही है, लेकिन इंग्लिश का बढ़ता प्रचलन हिंदी भाषा की गरिमा के दृष्टिकोण से गंभीर चिंता का विषय है। भाषावाद की लड़ाई में जो सम्मान हिंदी को मिलना चाहिए वह नहीं मिल सका है।