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रसोई गैस सिलिंडरों की बढ़ती कीमतों से परेशान लोगों के घरों में पुरानी पद्धति के चूल्हे जलना शुरू।

 

स्वतंत्रविचार 24 (रिपोर्ट :-- हाजी वकील अहमद अंसारी)

रसोई गैस सिलिंडरों की बढ़ती कीमतों से परेशान लोगों के घरों में पुरानी पद्धति के चूल्हे जलना शुरू।
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झूठा सपना दिखना छोड़कर सरकार को जनहित में कोई ठोस कदम उठाना होगा ---- निसार अहमद
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रसड़ा ( बलिया ) सरकार द्वारा रसोई गैस के सिलेंडरों पर 50 रुपए की बढ़ोत्तरी पर टिप्पणी करते हुए प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश सचिव निसार अहमद ने कहा है कि सरकार द्वारा बार-बार रसोई गैस सिलिंडरों की कीमतों में की जाने वाली  बढ़ोतरी,जहां आम उपभोक्ताओं के लिए एक समस्या बनती जा रही है,वहीं आर्थिक तंगी से परेशान हाल उज्जवला योजना के लाभार्थियों को भी इसे भरवाना नामुमकिन होता जा रहा है , जिसके चलते आर्थिक संकट झेल रहे लोग अब फिर पुरानी पद्धति अपना कर अपने घरों के चुल्हे फूंकने को मजबूर हो गयें हैं ।
पहले के दौर में देशवासियों के सम्पन्नता व खुशहाली का मजबूत श्रोत खेती व पशुपालन और कारोबार, रहा है, पर वर्तमान परिवेश में बेरोजगारी,महंगाई की मार और बदहाली आदि समस्याओं के चलते देश एक जटिल दौर से गुज़रते हुए पिछड़ता जा रहा है,यदि ऐसी परिस्थितियां रहीं तो लोगों को घरों में ना तो चुल्हे जल पाएंगे और ना ही लोगों को पेट भर भोजन ही मिल पायेगा । इसी क्रम में नेता निसार अहमद ने कहा कि अगर देखा जाए तो आज धीरे धीरे संसाधनों का अभाव होता जा रहा है और इसी तरह वन पर्यावरण भी समाप्ति की ओर अग्रसर होता जा रहा है, जिसकी वज़ह से यह कहना अनुचित नहीं होगा कि वह दिन दूर नहीं,जब देश के लोगों को शुद्ध रुप से सांस लेने की समस्या उत्पन्न हो जाएगी और लोग आक्सीजन को तरसने लगेंग,आखिर कृत्रिम आक्सीजन पर लोग कब तक जिन्दा रह पाएंगे ? आज देश में जहां गरीब और गरीब होता जा रहा है, वहीं अमीर और अमीर होता जा रहा है। आज के समय में अमीरों सम्पतियां दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है । आज पूरी दुनिया में अरबपतियों की संख्या तीसरे स्थान पर है और गरीबी, भूखमरी,कूपोषण श्रेणी के लोगों का सूचकांक में हम बहुत नीचे हैं, जबकि खाद्यान्नों से सरकारी के गोदामें भरी पड़ी है। पांच किलो राशन देकर सरकार भले ही वाहवाही लूटने अपनी पीठ थपथपाने में लगी है, वैसे  दुनियां में सबसे ज्यादा ग़रीब और भूखे लोग हमारे ही  देश में हैं ऐसे ही शिक्षा क्षेत्र में भी हमारे देश की युनिवर्सिटीयां विश्व के पटल पर कहीं टिकती हुई नहीं दिखाई दे रही हैं, फ़िर भी सरकार अपने को विश्व गुरु बनने का कोरा सपना दिखाने से नहीं चूक रही है । इसी कड़ी में नेता निसार अहमद ने कहा कि हालात को देखते और समझते हुए सरकार को संवेदनशीलता का परिचय देते हुए जनमानस की समस्याओं पर गंभीरता से विचार करना होगा और इन विकट परिस्थितियों समस्याओं से निपटने के लिए गंभीरता के साथ कठोर नीति बनानी होगी तभी इस देश को खुशहाल और सम्पन्न राष्ट्र की श्रेणी में खड़ा किया जा सकता है ।