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परिवार नियोजन में पुरुष भी निभाएं अपनी जिम्मेदारी।

 

स्वतंत्रविचार 24 (रिपोर्ट :-- अहमद हुसैन उर्फ जमाल आलम)

परिवार नियोजन में पुरुष भी निभाएं अपनी जिम्मेदारी।

जनसँख्या नियंत्रित होगी तो देश का भविष्य होगा उज्जवल।

बलिया, परिवार नियोजन सेवाओं को सही मायने में धरातल पर उतारने और समुदाय को छोटे परिवार के बड़े फायदे की अहमियत समझाने की हरसम्भव कोशिश सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा अनवरत की जा रही है। यह तभी फलीभूत हो सकता है जब पुरुष भी खुले मन से परिवार नियोजन साधनों को अपनाने को आगे आयें और उस मानसिकता को तिलांजलि दे दें कि यह सिर्फ और सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी है। इससे जनसँख्या पर रोक लगायी जा सकती है और परिवार सुखी रह सकता है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ नीरज कुमार पाण्डेय का ।
डॉ पाण्डेय ने बताया कि  पुरुष वर्ग परिवार पूरा होने पर परिवार नियोजन के स्थायी साधन नसबंदी को भी अपनाकर अपनी अहम जिम्मेदारी निभा सकते हैं। इसमें जो सबसे बड़ी दिक्कत सामने आ रही है वह उस गलत अवधारणा का परिणाम है कि पुरुष नसबंदी से शारीरिक कमजोरी आती है। इस भ्रान्ति को मन से निकालकर यह जानना बहुत जरूरी है कि महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी अत्यधिक सरल और सुरक्षित है। इसलिए दो बच्चों के जन्म में पर्याप्त अंतर रखने के लिए और जब तक बच्चा न चाहें तब तक पुरुष अस्थायी साधन  कंडोम को अपना सकते हैं। 
परिवार नियोजन के जिला स्तरीय प्रशिक्षक डॉ सीपी पाण्डेय का कहना है कि पुरुष नसबंदी चंद मिनट में होने वाली आसान शल्य क्रिया है। यह 99.5 फीसदी सफल है। इससे यौन क्षमता पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ता है। उनका कहना है कि इस तरह यदि पति-पत्नी में किसी एक को नसबंदी की सेवा अपनाने के बारे में तय करना है तो उन्हें यह जानना जरूरी है कि महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी बेहद आसान है और जटिलता की गुंजाइश भी कम है। पुरुष नसबंदी होने के कम से कम तीन महीने तक परिवार नियोजन के अस्थायी साधनों का प्रयोग करना चाहिए, जब तक शुक्राणु पूरे प्रजनन तंत्र से खत्म न हो जाएं। नसबंदी के तीन महीने के बाद वीर्य की जांच करानी चाहिए। जांच में शुक्राणु न पाए जाने की दशा में ही नसबंदी को सफल माना जाता है। डॉ सीपी पाण्डेय का कहना है कि नसबंदी की सेवा अपनाने से पहले चिकित्सक की सलाह भी जरूरी होती है । 
 राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ आरबी यादव बताते हैं कि जिला मिशन परिवार विकास जनपद में शामिल है। इस जिले में पुरुष नसबंदी करवाने पर लाभार्थी को तीन हजार रुपये उसके खाते में दिये जाते हैं । पुरुष नसबंदी के लिए चार योग्यताएं प्रमुख हैं- पुरुष विवाहित होना चाहिए, उसकी आयु 60 वर्ष या उससे कम हो और दंपति  के पास कम से कम एक बच्चा हो जिसकी उम्र एक वर्ष से अधिक हो। पति या पत्नी में से किसी एक की ही नसबंदी होती है। गैर सरकारी व्यक्ति के अलावा अगर आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरक की भूमिका निभाती हैं तो उन्हें भी 400 रुपये देने का प्रावधान है ।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के परिवार नियोजन लॉजिस्टिक मैनेजर उपेंद्र चौहान ने बताया कि जिले में वित्तीय वर्ष 2018-19 में चार पुरुषों ने नसबंदी करवाई और 2019-20 में  एक  पुरुष ने नसबंदी करवाई । 2020-21 में  नौ पुरुषों ने नसबंदी करवाई वहीं वर्ष 2021-22 में पांच  पुरुषों ने नसबंदी करवाई है । कंडोम का इस्तेमाल साल दर साल बढ़ा है । वर्ष 2018-19 में 314009 ,वर्ष 2019-20 में 307053, वर्ष 2020-21 में 438636 कंडोम सरकारी क्षेत्र से इस्तेमाल हुए । 
यह भी प्रावधान:-
जिला कार्यक्रम प्रबंधक बताते हैं कि एक अप्रैल 2019 के बाद नसबंदी के विफल होने पर 60,000 रुपए की धनराशि दी जाती  है। नसबंदी के बाद सात दिनों के अंदर मृत्यु हो जाने पर चार  लाख रुपए की धनराशि दी जाती है । नसबंदी के 8 से 30 दिन के अंदर मृत्यु हो जाने पर एक लाख  रुपए की धनराशि दिये जाने का प्रावधान है। नसबंदी के बाद 60 दिनों के अंदर जटिलता होने पर इलाज के लिए 50,000 रुपए की धनराशि  दी जाती है ।