स्वतंत्रविचार 24 (रिपोर्ट :--संदीप कुमार गुप्ता)
कलयुग में कोई भी धार्मिक अनुष्ठान लंम्बें समय तक नहीं करना चाहिए - जियर स्वामी
दुबहर (बलिया) - भृगुक्षेत्र में नगवां,जनाड़ी एवं ब्यासी गांव की सीमा पर गंगा नदी पर बने जनेश्वर मिश्रा सेतु के एप्रोच मार्ग के निकट हो रहे चतुर्मास यज्ञ के दौरान बुधवार के दिन श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा सुनाते हुए संत लक्ष्मी प्रपन्न जियर स्वामी ने कहा कि अंत मे मनुष्य के साथ उसकी धन संपत्ति एवं व्यवस्था कुछ भी साथ नहीं जाता हैं । बंधु बांधव पत्नी और निकट के रिश्तेदार कोई साथ नहीं जाते । मनुष्य के अच्छे बुरे कर्म ही रह जाते है ,जिसकी चर्चा उसके ना रहने के बाद भी होती रहेगी। कथा में उन्होंने बताया कि भगवान शंकर माता पार्वती को अमर कथा सुनाने के लिए ठंडा प्रदेश अमरनाथ क्षेत्र में ले गए जहां भगवान शंकर ने माता पार्वती से कहा कि आप कथा का श्रवण करते हुए बीच-बीच में हूंकारी अवश्य भरिएगा ,भगवान शंकर ने कथा आरंभ किया कुछ देर तक माता पार्वती ने हूंकारी भरी लेकिन उन्हें नींद आ गई । उसी क्षेत्र में एक पेड़ पर एक शुक का बच्चा भगवान की कथा को सुनते हुए माता पार्वती की आवाज में हूंकारी भरने लगा और पूरी कथा का श्रवण कर लिया । भगवान शंकर ने जब कथा समाप्त की और माता पार्वती से पूछा कि आपने कथा श्रवण किया तो माता पार्वती ने क्षमा मांगते हुए कहा कि भगवन मुझे माफ कीजिए मुझे नींद आ गई, भगवान शंकर ने कहा कि जब आपको नींद आ गई तो यह कथा सुना कौन उन्होंने देखा तो एक शुक का बच्चा अमरनाथ कथा को सुन चुका था। भगवान शंकर उसको त्रिशूल लेकर मारने के लिए दौड़े वह भागते हुए व्यास जी की पत्नी के मुख के माध्यम से उनके गर्भ में छिप गया । भगवान शंकर जब ब्यास जी के आश्रम में पहुँचे तब व्यास जी ने भगवान शंकर से सारा वृत्तांत सुनकर शुक की रक्षा की बात कही। कथा के दौरान संत जीयर स्वामी ने कहा कि कलयुग में कोई भी धार्मिक अनुष्ठान लंबे समय तक नहीं होना चाहिए इससे उक्त अनुष्ठान को भंग होने की आशंका बनी रहती है। ब्रज, गोकुल, वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण ग्यारह वर्षों तक निवास किए भगवान श्री कृष्ण मथुरा में चौदह वर्षों तक रहे, सौ वर्ष भगवान श्री कृष्ण द्वारिका में रहें, भगवान श्री कृष्ण कुल एक सौ पच्चीस वर्षों तक इस धरा धाम पर रहे।
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