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आशा देवकुमारी बनीं ग्रामीणों के लिए मसीहा।

 


- छः माह तक बच्चे को सिर्फ माँ का दूध पिलाने के लिए करती हैं प्रेरित।

- आशा कार्यकर्ता एमसीपी कार्ड के माध्यम से बच्चों के विकास पर रखती हैं नजर।

- शिशु के जन्म के 42 दिनों तक घर-घर जाकर नवजात का रखती हैं ख्याल।

बलिया, 18 सितम्बर 2021
बैरिया ब्लाक के अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कोटवां कोविड- 19 के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए जहां देश–प्रदेश की पूरी व्यवस्था लगी हुई है वहीं इस लड़ाई का एक मोर्चा आशा कार्यकर्ताओं ने भी संभाल रखा है। इन  कार्यकर्ताओं का कार्य कई मामलों में चुनौतीपूर्ण है। कोई अपनी पारिवारिक समस्याओं को दरकिनार करते हुये ड्यूटी कर रही हैं, तो कोई  सामाजिक असहयोग का सामना करते हुये लोगों को इस वैश्विक महामारी से बचा रही हैं।
बैरिया ब्लाक के अन्तर्गत -
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोटवा में  देव कुमारी बतौर आशा कार्यकर्ता वर्ष 2006 से कार्य कर रही हैं।  देवकुमारी  के अनुसार कोरोना का संक्रमण बढ़ने से इन लोगों पर ज़िम्मेदारी काफी बढ़ गई है। उन्होने बताया कि हमारा काम घर-घर जाकर लोगों को सही तरीके से हाथ धुलना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाना और मास्क लगाने के फायदे के बारे में बताना है। होम क्वारंटाइन किये लोगों का हर तीसरे दिन हालचाल लिया जाता है। कोरोना महामारी में 4 संस्थागत सफल प्रसव करवाया। साथ ही एक हाईरिस्क प्रसव सफल पूर्वक करवाया। कोरोना वायरस की जानकारी को लेकर 90 लोगों को प्रेरित कर आरोग्य सेतु एप मोबाइल में डाउनलोड कराया। उन्होंने बताया कि गांव के लोगों को कोई भी समस्या होती है तो सीधे मुझे ही फोन करते हैं।
एमसीपी कार्ड के माध्यम से बच्चों के विकास की निगरानी:-
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोटवा के डॉ० अमित कुमार ने बताया की कोविड 19 के कारण कार्यक्रम बाधित हुआ था, जिसको पुनः शुरू किया गया है। इसमें आशा कार्यकर्ता द्वारा एमसीपी कार्ड के माध्यम से बच्चों के विकास पर नजर रखी जा रही है। प्रसव के समय कम वजन वाले शिशुओं की विशेष देखभाल की जा रही है। आशा कार्यकर्ता को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा तैयार किए जाने वाले वृद्धि एवं विकास निगरानी चार्ट पर नजर रखनी होती है। चार्ट पर बच्चे की आयु के आधार पर वजन और लंबाई दर्ज होती है। इसके अलावा टीकाकरण का भी पूरा लेखा जोखा रहता है। बीमारी से बचाव के उपायों की जानकारी शिशु की माता को देनी होती है। और शिशु के बीमार पड़ने की स्थिति में तत्काल चिकित्सा केंद्र में ले जाने की सलाह दी जाती है।
वैश्विक महामारी कोरोना संकट में भी नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखा जा रहा है। इसको लेकर एचबीएनसी (गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल) कार्यक्रम फिर से शुरू कर दिया गया है। घर-घर जाकर नवजात शिशुओं का देखभाल किया जा रहा है। शिशु के जन्म के 42 दिनों तक घर-घर जाकर नवजात का ख्याल रखा जा रहा है। और निगरानी की जा रही हैं। इस कार्यक्रम के तहत छोटे बच्चों के पोषण के स्तर में सुधार, समुचित विकास और बाल्यावस्था में होने वाली बीमारियों जैसे डायरिया, निमोनिया के कारण होने वाली मृत्यु से बचाव करना है। आशा कार्यकर्ता गृह-भ्रमण कर माँ-बच्चे को स्वस्थ रखने, मां को खानपान के साथ-साथ बच्चे को शुरू के छः माह तक केवल स्तनपान कराने, बच्चे को छूने से पूर्व हाथ धोने, बच्चा कहीं निमोनिया का शिकार तो नहीं हो रहा है आदि गतिविधियों की जानकारी दे रहीं हैं।
छह बार विजिट करना होता है:-
शिशु के जन्म के बाद छह बार विजिट करना होता हैं। शिशु के जन्म के पहले दिन, फिर तीसरे दिन, 7वें दिन, 14 वें दिन, 21 वें दिन, 28 वें दिन और 42 वें दिन विजिट कर रहीं हैं। स्तनपान के बारे में जानकारी दे रहीं है। बच्चे मां का दूध पर्याप्त ले रहे हैं या नहीं। छः माह तक  बच्चे को  सिर्फ माँ का दूध ही देना है। आदि के बारे में जानकारी दे रही हैं। 
आशा कार्यकर्ता दे रही हैं ये भी जानकारी:-
बच्चों के सर एवं पैरों को हमेशा ढक कर रखना। बच्चों को ऐसे कमरे में रखना जहाँ तापमान नियत हो। 
नाल को सूखा रखें। इसपर कोई भी क्रीम या तेल का उपयोग नहीं करें। 
स्तनपान से पहले एवं शौच के बाद हमेशा हाथ की धुलाई अवश्य करें।
जन्म के एक घन्टे के भीतर शिशु को स्तनपान कराना एवं 6 माह तक केवल स्तनपान कराना।
नवजात देखभाल सप्ताह के दौरान फैसिलिटी से लेकर सामुदायिक स्तर पर इनके विषय में लोगों को जागरूक करना।
एमसीपी कार्ड के माध्यम से बच्चों के विकास की निगरानी, शिशुओं की साफ-सफाई व बेहतर स्वास्थ्य का ख्याल रखना।


रिपोर्ट :-- मोo अहमद हुसैन "उर्फ जमाल आलम