दुबहड़ । वसुधैव कुटुंबकम ही विश्व शांति का मूलमंत्र है। विश्व शांति के लिए व्यक्तिगत स्वार्थ, नकारात्मक सोच एवं संकीर्णतावादी प्रवृत्तियों के साथ ही अपने वर्चस्व व अभिमान का परित्याग करना होगा। यह बातें सामाजिक चिंतक बब्बन विद्यार्थी ने मंगलवार को मिडिया सेंटर अखार पर विश्व शांति दिवस के अवसर पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि शक्तिशाली राष्ट्रों द्वारा अपने-अपने वर्चस्व को बनाए रखने के कारण ही कई बार विश्व युद्ध हो चुके हैं। आज दुनिया में राष्ट्रवाद हावी है। संपूर्ण मानवता के बारे में सोचने की क्षमता कम होती जा रही है। जिसके कारण मनुष्य जाति- धर्म, भाषा, रंग व संस्कृति आदि के नाम पर इतना बंट चुका है कि वह शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के विचार को ही भूलता जा रहा है। उन्होंने आगे कहा की पड़ोसी की खुशी, गम, चिंता, कठिनाई आदि में अपने को शामिल करना विश्वशांति दिवस का सबसे बड़ा संदेश है। आज सभी को बैर-भाव भुलाकर "वसुधैव कुटुंबकम" की संस्कृति को अपनाने की आवश्यकता है, इसी में ही पूरे विश्व का विकास निहित है। इस अवसर पर डॉ. सुरेशचंद्र प्रसाद, अश्विनी ठाकुर, संजय जयसवाल मौजूद रहे।
रिपोर्ट :-- संदीप कुमार गुप्ता
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